इंसान उद्दण्ड हैं,
झूठा सब घमंड है,
दुनिया पर वर्चस्व का,
नैतिकता, सभ्यता,
घटिया मज़ाक हैं,
बाज़ार का राज है,
और सब बिक रहे हैं,
मुंहमांगी कीमत मिले
तो आप विजेता हैं,
सही कीमत,
आंखों पर पर्दा है,
आप फिर भी सामान हैं!
दर्द न हो
इसलिए मर्द हैं?
तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी,
एक्सप्रेस हाइवे,
चमकीले साइनबोर्ड,
गगनचुंबी इमारतें,
क्या दिखाते हैं,
लॉकडाउन में
क्या छुपाते हैं,
हैरतअंगेज बात,
लाखों सड़क पर
तब कहाँ जाते हैं?
चलते नज़र आते हैं,
जब शहर चलता है!
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