पुरा होने का शौक किसको है,
चलिये थोड़ा कम हो जायें!
कामयाबी का जिक्र कहाँ है,
आसाँ काँटों की चुभन हो जाये!
चलिये थोड़ा कम हो जायें!
कामयाबी का जिक्र कहाँ है,
आसाँ काँटों की चुभन हो जाये!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें