
नहीं होता मुझसे समय का बंटवारा
कहते है आया नया साल, कोई नयी बात या
फिर वही हिन्दुस्तानी भेड़ चाल,
दिखते नहीं कोई नए सवाल,
संकुचित होती मानसिकता
वही चमड़ी वही खाल
खुशी नए साल कि ?
या जश्न २०१० से छुटकारे का,
जो बीत गयी सो बात गयी,

समय बलवान है,
और कुछ अपने हाथ नहीं!
फिर भी आप आज नाच रहे हैं,
इशारा किसका है?
डोरी किसके हाथ में है?
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