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अगस्त, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आसा के राम .....या झांसा के राम !

आज़ादी किस से?

खुद से छुपने को आईने पे टिकते हैं , अपने ही हाथों बड़े सस्ते बिकते हैं ! सफ़ाई देने को तमाम बातें कहते हैं , अपनी ही गंदगियों से मूँ फ़ेर रहते हैं ! बढा - चढा के बातों से शान करते हैं , वतन परस्त सच्चाई बदनाम करते हैं , मुख़्तलिफ़ राय है नाइतिफ़ाक करते हैं , क्यों शिकन है जो यूँ आज़ाद करते हैं एक ही इबारत है सब बच्चे बेचारे पड़ते हैं , फ़िर क्यों आज़ादी के इतने झंड़े गड़ते है आज़ादी के गुलाम सारे एक चाल करते है , सच साफ़ न हो जाये कम सवाल करते हैं ! जख्म नासूर हो गये है माँ के दामन तले देशप्रेम सब क्यों आँखों पर पर्दे करते हैं!  बेगैरत अपने ही मज़हब के अमीर सारे , देख दुसरे को क्यों मुँह में लार करते हैं ? मुख़्तलिफ़ - different ; नाइतिफ़ाक - Disagree; इबारत -writing style

ना-शाईस्ता इश्क!

होगा इशक आपको दिल फ़ेंक कर मत दीजे , जो भी इज़हार है आँखे सेंक कर मत दीजे घूर के आँखों से उपर नीचे तक नापते हैं ,  क्या घर जाकर अपने बिस्तर जाँचते हैं ? सीटी मार के क्या संदेश भेजते है इज़्ज़त है नहीं तो क्या बेचते हैं ? मर्द होने की ये कौन सी निशानी है , तंग पतलून और हाथों की परेशानी है ? शराफ़त से घर अंदर भाई - बाप - बेटे हैं , बाहर क्यों ललचाए शीला की जवानी है ? मर्द भेड़िया है पतली गली में और कुत्ता शेर बिना भोंके लपकता है ज़रा मनाओ खैर ! कलाई मोड़ कहे रांझना कि इज़हारे इश्क है , इन ना-शाईस्ता सच्चाईयों से बदनाम इश्क है ! मोहब्बत की निशानी ताज़महल आगरा है , झूठ ! आज - कल सुना है इसका नाम वाईग्रा है ! भीड़ में धक्का , पीछे से चुंटी , और हाथ की सफ़ाई , महामारी हिंदूस्तान की और नाम इसका मर्दाई ! (ना-शाईस्ता - Obscene)

सब चलता है!

कहते हैं , चलता है , सब कचरे का ढेर ४ दिन का , अब तक नहीं हिला ,   सड़्कों पर हजारों रहते हैं , उनका सिक्का अभी तक नहीं चला , पानी , नाली का जो रोज़ अटका है , और चलता है प्लास्टिक जिसकी जनसंख्या से हमारी कॉम्पटीशन चलती है , भगवान , हो गयी है हर जगह मिलती है ? मुर्ती उसकी , और  चढ़ावा  बाहर मंदिर के , लाल , पीले , हरे , गुलाबी रंग की पन्नियों में सर्वव्यापी है , और दिन वो दूर नहीं जब होगा सर्वशक्तिमान , क्या समझ के चलता है वो लड़का , किसी भी लड़की के पीछे , और चलता है , पीछा करना , सीटी , छेड़ना और बाहें मरोड़ना , क्यों अगर कुछ रुकता है, तो वो है लड़की का घर से बाहर निकलना , अपने रस्ते चलना , जीना अपनी मर्ज़ी से , देश के सब काम होते हैं , चलता है , सिगनल तोड़ के चलना रुकती है तो बस ट्रेफ़िक में फ़ंसी एम्बुलेंस आखिर जिंदगी मौत हमारे हाथ नहीं , बाकी देशों को ये बात ज्ञात नहीं , नयी गाड़ी का एक नट ढीला चलता है , फ़ैक्ट्री में क्वालिटी चेक अब छोटी छोटी बातों में नुक्स अरे हम इं...

फ़रेबी मुश्किल!

टूटे दिल और फ़रेबी मुश्किल कहाँ ले जायेंगे कुछ सच अब आपके थोड़े करीब आयेंगे ! बहुत गुमाँ था आपको उनकी मोहब्बत का अब आपके यकीन आपको आज़मायेंगे ! प्यार , कौन कहता है कि आप छोड़ दें , दूर से देखिये वो अब भी मुस्करायेंगे खुल गयी पोल मोहब्बत की राज़ रखिये , अंदर की बात क्यों चेहरा देवदास रखिये ! दूर के ढोल बड़े सुहाने होते हैं , क्यों पास जा कर दीवाने होते हैं , ड़ंके की चोट पर ज़ोर से ऐलान करते हैं , क्यों मोहब्बत का बाज़ारू सामान करते हैं सारा दोष उनका और सब तोहमतें उन पर कमज़ोर यूँ अपनी मुश्किल आसान करते हैं ,