कहते हैं , चलता है , सब कचरे का ढेर ४ दिन का , अब तक नहीं हिला , सड़्कों पर हजारों रहते हैं , उनका सिक्का अभी तक नहीं चला , पानी , नाली का जो रोज़ अटका है , और चलता है प्लास्टिक जिसकी जनसंख्या से हमारी कॉम्पटीशन चलती है , भगवान , हो गयी है हर जगह मिलती है ? मुर्ती उसकी , और चढ़ावा बाहर मंदिर के , लाल , पीले , हरे , गुलाबी रंग की पन्नियों में सर्वव्यापी है , और दिन वो दूर नहीं जब होगा सर्वशक्तिमान , क्या समझ के चलता है वो लड़का , किसी भी लड़की के पीछे , और चलता है , पीछा करना , सीटी , छेड़ना और बाहें मरोड़ना , क्यों अगर कुछ रुकता है, तो वो है लड़की का घर से बाहर निकलना , अपने रस्ते चलना , जीना अपनी मर्ज़ी से , देश के सब काम होते हैं , चलता है , सिगनल तोड़ के चलना रुकती है तो बस ट्रेफ़िक में फ़ंसी एम्बुलेंस आखिर जिंदगी मौत हमारे हाथ नहीं , बाकी देशों को ये बात ज्ञात नहीं , नयी गाड़ी का एक नट ढीला चलता है , फ़ैक्ट्री में क्वालिटी चेक अब छोटी छोटी बातों में नुक्स अरे हम इं...