सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सब चलता है!

कहते हैं , चलता है, सब
कचरे का ढेर ४ दिन का,
अब तक नहीं हिला,
 सड़्कों पर हजारों रहते हैं,
उनका सिक्का अभी तक
नहीं चला,
पानी,
नाली का जो रोज़ अटका है,
और चलता है
प्लास्टिक जिसकी जनसंख्या से
हमारी कॉम्पटीशन चलती है,
भगवान,
हो गयी है हर जगह मिलती है?
मुर्ती उसकी,
और चढ़ावा बाहर मंदिर के,
लाल, पीले, हरे, गुलाबी रंग की
पन्नियों में
सर्वव्यापी है, और दिन वो दूर नहीं जब होगा
सर्वशक्तिमान, क्या
समझ के चलता है वो लड़का,
किसी भी लड़की के पीछे, और
चलता है,
पीछा करना, सीटी, छेड़ना और
बाहें मरोड़ना, क्यों
अगर कुछ रुकता है, तो वो है
लड़की का घर से बाहर निकलना,
अपने रस्ते चलना, जीना
अपनी मर्ज़ी से,
देश के सब काम होते हैं,
चलता है,
सिगनल तोड़ के चलना
रुकती है तो बस
ट्रेफ़िक में फ़ंसी एम्बुलेंस
आखिर जिंदगी मौत हमारे हाथ नहीं,
बाकी देशों को ये बात ज्ञात नहीं,
नयी गाड़ी का एक नट ढीला
चलता है,
फ़ैक्ट्री में क्वालिटी चेक
अब छोटी छोटी बातों में नुक्स
अरे हम इंसान है,
नज़र चूक जाती है,
शॉर्ट सर्किट हो तो
फ़ूँक जाती है,
अब बिल्ड़िंग बड़ी है तो क्या
गलती तो छोटी ही थी न!
चलता है!
यहाँ सब कुछ,
टीचर की मार,
घटिया फ़िल्मी प्यार,
धूल और मिट्टी के
बीच बिकता,
मीठा और अचार
आँखों के सामने
सड़ता कचरा
और गरीब लाचार
दुसरों की क्या तारीफ़
चलो अपनी बात करें,
क्या नहीं चलता आपको,
लीक होता नल,
क्या नहीं लेते आप
बीमारी की झूटी छुट्टी, और कोसते हैं,
बर्तन वाली को जो नागा करती है,
आजकल बहुत बीमार पड़ने लगी हो"
क्यों‌ चलता है हमको,
चाय का कप लाता मज़बूर बच्चा
सब भ्रष्ट है, गुस्सा है आपको
बड़ा कष्ट है,
बिना रिज़र्वेशन सफ़र करना
"टी.टी सर, कुछ हो सकता है!,
-४ सौ उपर से ले लीजे"
हाँ! अब आराम से लेट के कोसिये
व्यवस्था को,
चलती है गाड़ी जैसे तैसे,
कभी तो पहुँच ही जायेंगे,
कहीं तो पहुँच ही जायेंगे,

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पूजा अर्चना प्रार्थना!

अपने से लड़ाई में हारना नामुमकिन है, बस एक शर्त की साथ अपना देना होगा! और ये आसान काम नहीं है,  जो हिसाब दिख रहा है  वो दुनिया की वही(खाता) है! ऐसा नहीं करते  वैसा नहीं करते लड़की हो, अकेली हो, पर होना नहीं चाहिए, बेटी बनो, बहन, बीबी और मां, इसके अलावा और कुछ कहां? रिश्ते बनाने, मनाने, संभालने और झेलने,  यही तो आदर्श है, मर्दानगी का यही फलसफा,  यही विमर्श है! अपनी सोचना खुदगर्जी है, सावधान! पूछो सवाल इस सोच का कौन दर्जी है? आज़ाद वो  जिसकी सोच मर्ज़ी है!. और कोई लड़की  अपनी मर्जी हो  ये तो खतरा है, ऐसी आजादी पर पहरा चौतरफा है, बिच, चुड़ैल, डायन, त्रिया,  कलंकिनी, कुलक्षिणी,  और अगर शरीफ़ है तो "सिर्फ अपना सोचती है" ये दुनिया है! जिसमें लड़की अपनी जगह खोजती है! होशियार! अपने से जो लड़ाई है, वो इस दुनिया की बनाई है, वो सोच, वो आदत,  एहसास–ए–कमतरी, शक सारे,  गलत–सही में क्यों सारी नपाई है? सारी गुनाहगिरी, इस दुनिया की बनाई, बताई है! मत लड़िए, बस हर दिन, हर लम्हा अपना साथ दीजिए. (पितृसता, ग्लोबलाइजेशन और तंग सोच की दुनिया में अपनी ...

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

एलिमेंट्स

  कोई लड़ाई नहीं है, हवा पानी पहाड़ में, जमीन आसमान में, आग और पानी में? पानी बुझा देता है, आग उड़ा देती है आपको लगता है ये लड़ाई है? खासी तंग सोच पाई है! यही सोच तहज़ीब बनी है, तरक्की का बीज बनी है, पीछे छोड़ देना, आगे जाने की शर्त है, ये कैसी यही कवायद है? आखिर सीखा क्या हमने, कुदरत से? पानी और आग की दोस्ती? जब साथ आते हैं,  हवा हो जाते हैं! हवा और पानी  जमीन की सवारी हैं, सदियों से ये सफर जारी है! कोई किसी से कम नहीं, न कोई किसी पर भारी! हर कोई वजह है,  जगह नहीं, पानी, हवा, आग, जमीन, कायनात के कलाकार हैं, कई प्रकार है, तमाम आकार हैं, और जहां जरूरी हो, शून्य, सिफर होने तैयार हैं! बड़ा छोटा, कम ज्यादा, आगे पीछे, ऊपर नीचे इस द्वंद, इस जंग में फंसे आप कब इन कलाकार से सीखेंगे??