सफ़ाई
देने को तमाम बातें कहते हैं,
अपनी ही गंदगियों से मूँ फ़ेर रहते हैं!
अपनी ही गंदगियों से मूँ फ़ेर रहते हैं!
मुख़्तलिफ़ राय है नाइतिफ़ाक करते हैं,
क्यों
शिकन है जो यूँ आज़ाद करते हैं
एक
ही इबारत है सब बच्चे बेचारे
पड़ते हैं,
आज़ादी
के गुलाम सारे एक चाल करते है,
सच साफ़ न हो जाये कम सवाल करते हैं!
सच साफ़ न हो जाये कम सवाल करते हैं!
जख्म
नासूर हो गये है माँ के दामन
तले
देशप्रेम सब क्यों आँखों पर पर्दे करते हैं!
देख
दुसरे को क्यों मुँह में लार
करते हैं?
मुख़्तलिफ़-
different ; नाइतिफ़ाक-
Disagree; इबारत-writing
style
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