पास है मेरे पर खो गया है!
क्यूँ आज ऐसा हो गया है!!
दूर है पर महसूस करती हूँ!
क्यों मैं ये अफसोस करती हूँ!!
अपना था और अपना ही रहा!
हक़ीकत, अब सपना सा रहा!!
भूलने को तो कुछ भी नहीं!
एक साथ था अब याद सा रहा!!
आवाज़ अब भी मेरे कानों में है!
फिर क्यों सोचूं क्यूँ गुम सा है!!
मेरी हँसी थोड़ी अकेली पड़ गई!
खिलखिलाहट का मज़ा कम सा है!!
उम्मीद, हिम्मत, कोशिश सिखाई!
बहुत है फ़िर भी ज़रा कम सा है!!
मेरा बचपन ओ जवानी भी था!
वो अक्सर मेरी कहानी सा था!!
चल पड़ी हूँ अपने रास्तों पर मैं!
हर मोड़ कुछ अकेलापन सा है!!
क्यूँ आज ऐसा हो गया है!!
दूर है पर महसूस करती हूँ!
क्यों मैं ये अफसोस करती हूँ!!
अपना था और अपना ही रहा!
हक़ीकत, अब सपना सा रहा!!
भूलने को तो कुछ भी नहीं!
एक साथ था अब याद सा रहा!!
आवाज़ अब भी मेरे कानों में है!
फिर क्यों सोचूं क्यूँ गुम सा है!!
मेरी हँसी थोड़ी अकेली पड़ गई!
खिलखिलाहट का मज़ा कम सा है!!
उम्मीद, हिम्मत, कोशिश सिखाई!
बहुत है फ़िर भी ज़रा कम सा है!!
मेरा बचपन ओ जवानी भी था!
वो अक्सर मेरी कहानी सा था!!
चल पड़ी हूँ अपने रास्तों पर मैं!
हर मोड़ कुछ अकेलापन सा है!!
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