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फ़रवरी, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भागते रहो!!

चारों तरफ पहरा है, बंदोबस्त, जबरजस्त एक पूरे मुल्क की ताकत, कर रही है हिफाज़त? चौबीसों चौकन्ने, तीसों होशियार, क्या मज़ाल किसी की, ख़बरदार! सुई पटक सन्नाटा, बेहिसाब असला, कहाँ कोई मसला? इसे कहते है ताकत, लोकशाही की, चप्पा चप्पा मुस्तैद, सबका साथ, सबका हिसाब! कश्मीर! एक जेल! कश्मीरियों के लिए! वाह! भारत सरकार! वाह! जहां चाह, वहां आह! मासूमियत बेपनाह!

बचपन और कश्मीर?

रूह कांप जाती है, ये सोचकर के अगर मेरा बचपन कश्मीर होता? शायद, मेरा आज कोई और शरीर होता! पैलेट से सुसज्जित, मेरा चेहरा होता, आख़िर, पत्थर मैंने भी उठाए हैं, फेंके भी हैं, बड़ा मासूम था मैं? गुस्सा तो था नहीं, न कोई परेशानी, बस कुछ होने की आसानी, जैसे एक खेल था, चलती हुई बस, एक पत्थर, सरकारी मुलाज़िमों की बस्ती, सुरक्षित हस्ती! आज मैं शांति-अमन हूँ, और वो बच्चे? जिनकी लोरी कदमताल है, और तलाशी, सुबह की लाली? जिनसे सवाल बन्दूकें करती हैं, और ज़वाब कोई भी सही नहीं! उनके हाथ के पत्थर क्या होंगे? सवाल? ज़वाब? बयान? मलाल? ख़याल?

अखंड नीयत!

पहरा तो गहरा है, हर कोने पर शक खड़ा है, हर गली में बदनियती पहरा देती है, कितना भी नेकनियत निकलिए, खौफ़ गश्त लगा रहा है, बदसलूकी रोज़ का मौसम बनी है, हाथ उठते है, और गरेबाँ हो जाते हैं, वो कहाँ मर्द औरत में फ़र्क लाते है? आखिर अखंड भारत के नुमाइंदे है, शायद ये संविधान के कायदे हैं, बराबरी!

जन्नत कहाँ?

सुना है सब आतंकी हैं, इस जगह! हर एक शख़्श! बच्चा, बूढ़ा, आदमी औरत, और एल जी बी टी क्यू!? क्यूँ?? यहाँ की हवा में शायद, कोई बात हो! क्यों? कश्मीर! वही जगह दुनिया की, "अगर जन्नत है तो यहीं, यहीं, यहीं है" कश्मीरी भी वही हैं? वादियां भी वही, वही बर्फ, वही चिनार, वही डल, वही हज़रतबल! फिर बदला क्या है? हवा में, क्यों बारूद घुल गया है? सबकी नसों में कड़वाहट घोलने वाला! ये ज़हर कब मिल गया है? ये ज़हर आया कहाँ से? कौन है जो बदलाव नहीं बदला बोलता है?

बाप रे बाप!

अपने ही अपनों के बाप हो रहे हैं, आजकल सब घूंसा लात हो रहे हैं! सुनना किसे है, बोलना सबको हैं, जो नहीं चाहिए वो जमात हो रहे हैं। लंबी लड़ाई है ओ सब को जल्दी है, नतीज़ों के सब हालात हो रहे हैं! सवाल मत पूछो इन हुक्मरानों से, ताकत को सब आदाब हो रहे हैं! सच इश्तेहार नहीं, इश्तेहार सच है, काले पैसे किस के आबाद हो रहे हैं? रज़ामंद हो या पाकिस्तान चले जाओ देश भक्ति के नए जज़्बात हो रहे हैं!   प्रधान मन की बात, मनमानी है, जुमले सारे ख़यालात हो रहे हैं! अपनी बात तय, है उसी की जय-जय एकतरफ़ा सब ताल्लुकात  हो रहे हैं! मंदिर वहीं बनाते, गाय कहाँ ले जाते? कातिल आपके सवालात हो रहे हैं!!