चारों तरफ पहरा है, बंदोबस्त, जबरजस्त एक पूरे मुल्क की ताकत, कर रही है हिफाज़त? चौबीसों चौकन्ने, तीसों होशियार, क्या मज़ाल किसी की, ख़बरदार! सुई पटक सन्नाटा, बेहिसाब असला, कहाँ कोई मसला? इसे कहते है ताकत, लोकशाही की, चप्पा चप्पा मुस्तैद, सबका साथ, सबका हिसाब! कश्मीर! एक जेल! कश्मीरियों के लिए! वाह! भारत सरकार! वाह! जहां चाह, वहां आह! मासूमियत बेपनाह!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।