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एन आर सी नहीं!




एक कागज के टुकड़े जितनी आपकी औकात है,
कौन हैं जो कह रहे हैं "वाह वाह! क्या बात है"?



समझ नहीं आता आखिर क्यों धर्म जात है,

फिर फिर वही सवाल क्या धर्म क्या जात है?



सिर्फ़ इंसान होना काफ़ी नहीं है

ऐसी बात पर कानून की लात है!



ऊपर से ये दावा के हम मुल्क चलाएंगे,

संविधान चलाना जिनको घूंसा-लात है?




क्यों लाज़मी है जो न वाज़िब न मुनासिब है?

सिर्फ इसलिए के किसी के मन की बात है?



गरेबाँ तक उनके हाथ जबरन आते हैं,

जिनके मुँह पर भारत माता की बात है?




क्यों वो एक एक को चुन चुन के जांचेंगे,

आस्तीन के सांप हैं जिनके ये जज़्बात हैं!



हुक़ूमत की लाठी अपने सर भारी है,

कश्मीर पर फिर क्यों अलग जज़्बात हैं??

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