सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

विजय है, वज़ह है!

मुसाफ़िर भी हैं, अपना ही सामान भी,
रास्ता भी हैं आप, रास्तों की जान भी!!


कितने बुलंद हैं आपके साथ फलकर,
दुआ क़बूल हैं आपके साथ चलकर!





सदा भी है, अदा भी है, नज़ाकत भी,
काम की चीज़ है आपकी बग़ावत भी!


कितने हुनर हैं जो आप के क़ाबिल हैं,
हौंसला हैं आप हमारा और हासिल भी!




ख़ुद से हैं आपको अपनी शिकायतें, 
उस्तादी की ये बेहतर रवायतें हैं!!


इरादे कम नहीं, इरादों के गम जरूर 
कितना कुछ करने को चलना है दूर!




खामियाँ सब अकेली पड़ जाती हैं,
आपकी खूबियां उनको शरमाती नहीं!!



जात-पात, बुरी बात, कदम कदम पर घात,
आपसे क्या बोले कोई मुश्किलों की बात?




तहज़ीब और रवायतें कुलजमा साज़िश हैं,
आपके जज़्बे से कदम कदम वो खारिज़ हैं!


अब भी कहाँ आपकी मुश्किलें आसान हैं,
कायम रहे आपके चेहरे जो मुस्कान है! 

#आमीन

(विजय कई सालों से हमारे साथी हैं, उनके साथ काम कर के, उनके दो दशक से ज्यादा के काम की बातें सुनकर, और उनके सीखने और सिखाने के जज़्बे को सलाम है)‌
जय भीम विजय भाई!


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

पूजा अर्चना प्रार्थना!

अपने से लड़ाई में हारना नामुमकिन है, बस एक शर्त की साथ अपना देना होगा! और ये आसान काम नहीं है,  जो हिसाब दिख रहा है  वो दुनिया की वही(खाता) है! ऐसा नहीं करते  वैसा नहीं करते लड़की हो, अकेली हो, पर होना नहीं चाहिए, बेटी बनो, बहन, बीबी और मां, इसके अलावा और कुछ कहां? रिश्ते बनाने, मनाने, संभालने और झेलने,  यही तो आदर्श है, मर्दानगी का यही फलसफा,  यही विमर्श है! अपनी सोचना खुदगर्जी है, सावधान! पूछो सवाल इस सोच का कौन दर्जी है? आज़ाद वो  जिसकी सोच मर्ज़ी है!. और कोई लड़की  अपनी मर्जी हो  ये तो खतरा है, ऐसी आजादी पर पहरा चौतरफा है, बिच, चुड़ैल, डायन, त्रिया,  कलंकिनी, कुलक्षिणी,  और अगर शरीफ़ है तो "सिर्फ अपना सोचती है" ये दुनिया है! जिसमें लड़की अपनी जगह खोजती है! होशियार! अपने से जो लड़ाई है, वो इस दुनिया की बनाई है, वो सोच, वो आदत,  एहसास–ए–कमतरी, शक सारे,  गलत–सही में क्यों सारी नपाई है? सारी गुनाहगिरी, इस दुनिया की बनाई, बताई है! मत लड़िए, बस हर दिन, हर लम्हा अपना साथ दीजिए. (पितृसता, ग्लोबलाइजेशन और तंग सोच की दुनिया में अपनी ...

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!