आसरा क्या है?
भरोसा कहां है?
अपनी ही हिम्मत के सहारे हैं,
उसी हिम्मत के बेचारे हैं!
लाखों है दुनिया में ऐसे,
जो जंग के मारे हैं!
जंग क्यों
वही सारी जंग है,
सोच जिनकी तंग है,
इंसान होना रंग है?
भेद के सब भाव हैं,
झूठे सारे ताव हैं,
सदिओं के ये घाव हैं!
संस्कॄति के दाव हैं,
नैतिकता - चारों खाने चित्त!
जंग के प्रपंच!
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