सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ज़रा

ज़रा सा उनका मुस्कराना है
ज़रा सा हमको पास जाना है
ज़रा सी भूल हमसे हो
ज़रा सा उनको भूल जाना है!


ज़रा सी सख्तियाँ उनकी
ज़रा सी नाज़ुक मिज़ाजी,
ज़रा से बेशरमियाँ मेरी,
ज़रा सी हाज़िर-जवाबी


ज़रा से रास्ते दिल के
ज़रा सा साथ में चल के
ज़रा सी उम्मीदें उनकी
ज़रा सी मेरी जिद्दें हैं, 

ज़रा सी आवारगी में हम,
ज़रा से उनके नखरे हैं,
ज़रा है साथ ये हरदम, 
ज़रा से फ़िर भी बिखरे है





ज़रा से अजनबी हम हैं,
ज़रा सो वो हैं पहचाने
ज़रा सा दूर से देखें
ज़रा करीब कब आएं!




ज़रा से हम उनके हैं,
जरा से वो हमारे हैं,
ज़रा सा बह रहे हैं वो
ज़रा सा हम किनारे हैं 




ज़रा से ज़ख्म उनके भी
ज़रा से दर्द हमारे हैं
ज़रा सा इश्क ये ऐसा
ज़रा से हम बेचारे हैं

ज़रा सा मौसम बेइमान
ज़रा सी सफ़र कि थकान
ज़रा सा हाथ कंधों पे
ज़रा सा काम यूँ आसान



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

पूजा अर्चना प्रार्थना!

अपने से लड़ाई में हारना नामुमकिन है, बस एक शर्त की साथ अपना देना होगा! और ये आसान काम नहीं है,  जो हिसाब दिख रहा है  वो दुनिया की वही(खाता) है! ऐसा नहीं करते  वैसा नहीं करते लड़की हो, अकेली हो, पर होना नहीं चाहिए, बेटी बनो, बहन, बीबी और मां, इसके अलावा और कुछ कहां? रिश्ते बनाने, मनाने, संभालने और झेलने,  यही तो आदर्श है, मर्दानगी का यही फलसफा,  यही विमर्श है! अपनी सोचना खुदगर्जी है, सावधान! पूछो सवाल इस सोच का कौन दर्जी है? आज़ाद वो  जिसकी सोच मर्ज़ी है!. और कोई लड़की  अपनी मर्जी हो  ये तो खतरा है, ऐसी आजादी पर पहरा चौतरफा है, बिच, चुड़ैल, डायन, त्रिया,  कलंकिनी, कुलक्षिणी,  और अगर शरीफ़ है तो "सिर्फ अपना सोचती है" ये दुनिया है! जिसमें लड़की अपनी जगह खोजती है! होशियार! अपने से जो लड़ाई है, वो इस दुनिया की बनाई है, वो सोच, वो आदत,  एहसास–ए–कमतरी, शक सारे,  गलत–सही में क्यों सारी नपाई है? सारी गुनाहगिरी, इस दुनिया की बनाई, बताई है! मत लड़िए, बस हर दिन, हर लम्हा अपना साथ दीजिए. (पितृसता, ग्लोबलाइजेशन और तंग सोच की दुनिया में अपनी ...

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!