तू हसीं हैं मैं यकीं हूँ,
तू ज़मीं है मैं ज़मीं हूँ,
रास्तों के नशेमन लिए,
हमनज़र भी, हमसफ़र भी
तू खबर ओ मैं ख़ामोशी,
तू मय भी ओ मयखाना,
मैं साकी ओ मैं पैमाना,
नाप रहे है अरसों से,
एक दूजे को हम रोज़ाना,
पुरे नहीं पड़ते कभी भी,
खर्च हुए पर बिन हर्जाना,
ज़िक्र आया तो कह देते है,
लाखों अफ़साने क्या क्या फ़रमाना,
मिल जाएँ गर किसी मोड़ तो,
मत कहना की न पहचना!
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