चोट
लगती है हमें पर जख्म नहीं
होते
मरे
महबूब की तमाम मुश्किलें हम
से हैं
हम
से ही कहते हैं काश हम नहीं
होते
अपनी आदतों से मज़बूर वो अब नहीं होते
रात-दिन,
शाम-ओ-सहर
अब हम नहीं होते
हम
में बदलने को रोज़ाना नयी चीज़ें
हैं तमाम
जरुरत
पड़ती है जब उनको हम कम नहीं
होते
और
कोई होता तो बेशक हम नहीं
होते?
मतलब निकलता है तब तक साथ सबका है
मुश्किलों में तो गोया, हम हम नहीं होते!
मतलब निकलता है तब तक साथ सबका है
मुश्किलों में तो गोया, हम हम नहीं होते!
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