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बादल बारिश मौसम

दिखती नहीं है बारिश
पर छू जाती है,
चलो वहां रुकें ..





सही में
कहीं दूर से, 
जैसे अनजाने सुरूर से,
आया कितने गुरुर से,
बादल




वहीं पे,
सबको सरोबर करके 
हसीं कारोबार करके
उदास होते,

लम्हों को प्यार करके
बारिश 






है कहीं,
हाथ में डोर लिए, 
अपना सच छाप के,
अपना रास्ता नापते,
मौसम







झट से ,
कल को छोड़ के, 
होकर नये मोड़ पे,
सब के सच बदलती

जमीँ 




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