एक शख़्स हमारे खासे करीब है, हम से शिकायत के हमारे ग़रीब है! तमाशा है दुनिया का जिसको शरीफ़ हैं, एक शख़्स से पूछो तो खासे शरीर हैं! यकीन रखिये तो दुनिया अपनी ज़ागीर है, एक शख्स, हमको, फिर भी फ़क़ीर है!! दोनों को ही रास्तों में कितनी लकीर हैं, पैग़म्बर नहीं मालुम, एक शख्श पीर है! ये दुनिया साली चीज़ ही अजीबोगरीब है, दूर लगता है एक शख्स, इतना करीब है!! जो भी करना है, उम्दा सोच से करना है! एक शख्श को जोश-ए-ज़ज़्बा ही फरीज़ है! हमसे हमारी ही बातें करते रहिये, एक शख़्श अपने रिश्तों के नाज़िर हैं! हम से शिकायत ओ हम को आग़ाह भी, एक शख़्श शहंशाह ओ हमारे वज़ीर हैं!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।