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आज़ादी के नंग?

आज़ादी का ऐसा नशा के जंज़ीरें नहीं दिखतीं,
तस्वीरों से खुश हैं सब,
फूटी तकदीरें नहीं दिखतीं!

तमाम फ़कीरी मज़हबी लकीरों में सिमटी है,
उसूलों की किसी को गऱीबी नहीं दिखती?

60 बच्चे चंद हो गए, ज़हन ऐसे गन्द हो गए?
चीख़ रहे हैं सब ख़बरी ऐसे,
कि हम अपनी बोलती के बंद हो गए?

एक क़ातिल, एक उठाईगीर को रहनुमा किया,
क्यों हम इतने अक्लमंद हो गए?
अपने ही पड़ोसी पर शक है,
क्यों मोहब्बत पर नफऱत के पैबंद हो गए?

जो हमराय नहीं होता वो रक़ीब है, 
कब से सोच के हम इतने तंग हो गए?
ये कैसी आज़ादी आयी, 
सब के सब रज़ामंद हो गए?

शोर मचाओ, वंदे गाओ,
आज़ादी के सब नंग हो गए?


...... 
बेहरेहाल आज़ादी मुबारक़ हो अगर आप आज़ाद हैं!!
#फ्री #आज़ादी #स्वतंत्रता #freedom #independance

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