दिमाग खराब हो गया है,
सीधा हिसाब हो गया है!
नफरतें वाज़िब बन गई हैं!
शराफत नकाब हो गया है!
पागल चीखते हैं मरामराम,
ये बड़ा ही आम हो गया है!
लकीरें दीवार बन गई हैं,
बंटवारा आसान हो गया है!
भक्ति खून की प्यासी है,
श्रद्धा जिहाद हो गया है!
मीट खाते बनाते मार डालो,
नरभक्षी स्वाद हो गया है!
वहशत, दहशत, सियासत,
यूं राम का नाम हो गया है!
चुप हैं सब धर्म के नाम से,
गुनाह आसान हो गया है!
"अल्ला ओ अकबर" किसी का,
किसी का जय श्री राम हो गया है!
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