कोई लड़ाई नहीं है, हवा पानी पहाड़ में, जमीन आसमान में, आग और पानी में? पानी बुझा देता है, आग उड़ा देती है आपको लगता है ये लड़ाई है? खासी तंग सोच पाई है! यही सोच तहज़ीब बनी है, तरक्की का बीज बनी है, पीछे छोड़ देना, आगे जाने की शर्त है, ये कैसी यही कवायद है? आखिर सीखा क्या हमने, कुदरत से? पानी और आग की दोस्ती? जब साथ आते हैं, हवा हो जाते हैं! हवा और पानी जमीन की सवारी हैं, सदियों से ये सफर जारी है! कोई किसी से कम नहीं, न कोई किसी पर भारी! हर कोई वजह है, जगह नहीं, पानी, हवा, आग, जमीन, कायनात के कलाकार हैं, कई प्रकार है, तमाम आकार हैं, और जहां जरूरी हो, शून्य, सिफर होने तैयार हैं! बड़ा छोटा, कम ज्यादा, आगे पीछे, ऊपर नीचे इस द्वंद, इस जंग में फंसे आप कब इन कलाकार से सीखेंगे??
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।