अकेले लेटे हुए
खाली हाथ,
अकेले सरहाने,
तुम्हारा ख्याल, संगी,
रात,
आसामाँ
भक्क खुली आँखें
अंधेरों को खिसकते हुए देखतीं,
तुम नहीं हो
रोज़ाना, ढूंढता हूँ,
'आनंद'
सांसारिक और सात्विक
समझा, साथ ....साथी
तुम आनंदित हो, (बगैर मेरे)
मेरी दुर्दशा है,
पिघलो मत,
ये आह (तुम तक पहुंचेगी, कहाँ?)
लाईट ऑफ़,
दरवाज़ा अड़काया है,
दरवाज़ा अड़काया है,
कदमों का आसार है,
मेरी बाँहों को इंतज़ार है!
मेरी बाँहों को इंतज़ार है!
(आनंद द्वारा रचित मूलरचना "Soon" को हिंदी में व्यक्त करने की कोशिश )
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