आज सुबह की दौड़, बेजोड़, नयी शक्ल हर मोड़, और दौड़ ज़िन्दगी, कोई फुर्रर्रर कोई खिरामां खिरामां, सोचने का वक्त नहीं, किसी को, और कोई मगन है ख्यालों में, कोई सेहत के लिए भागता है, और कोई नेमत को, और काफ़ी अपनी कीमत को, और समंदर दूर से, बारीख़ी से, कुछ नहीं कह रहा, अगर आप सुन पाएँ, तो समझेंगे, सच कुछ नहीं है, बस आपकीं राय है!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।