मैं उदास हुँ हताश नहीं,
गुस्सा पाल नहीं रहा,
सवाल रहा हूँ,
मैं हाल हूँ या हालात?
खबरों में खुद से होतीं नहीं मुलाकात,
नफ़रत का हर तरफ़ बवाल,
कोई मज़हब जल रहा है, और
कोई धर्म जला रहा है!
जो ज्यादा है वो भीड़ हैं,
जो कम हैं वो कम पड़ रहे हैं!
इंसान अब इंसानियत से लड़ रहे हैं!
और वातानुकूलित सच वालों को यकीन है,
के इस दौर में हम आगे बढ़ रहे हैं!
गुस्सा पाल नहीं रहा,
सवाल रहा हूँ,
मैं हाल हूँ या हालात?
खबरों में खुद से होतीं नहीं मुलाकात,
नफ़रत का हर तरफ़ बवाल,
कोई मज़हब जल रहा है, और
कोई धर्म जला रहा है!
जो ज्यादा है वो भीड़ हैं,
जो कम हैं वो कम पड़ रहे हैं!
इंसान अब इंसानियत से लड़ रहे हैं!
और वातानुकूलित सच वालों को यकीन है,
के इस दौर में हम आगे बढ़ रहे हैं!
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