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ज़ाहिर बात!


हमसे ही हमारी बात करते हैं,
हम भी उनसे ये शिकायत करते हैं!

हम नहीं जज़्बात ज़ाहिर करते,
वो हमसे यही हिदायत करते हैं!




नींद ही ऐसी के बिछड़ जाते हैं,
और वो सपनों की बात करते हैं!

काम, नाम, आराम सब साथ है,
झग़डे, तो हम मशवरात करते हैं!

लंबा सफर है, हो चला और बाकी
हम कहां मंज़िल की बात करते हैं!



अकेले भी दोनों अच्छे खासे हैं!
साथ में तो हम कमालात करते हैं!!

अरसा हुआ अब सारे एब ज़ाहिर,
उम्मीद से रोज़ मुलाक़ात करते हैं!



एक हैं पर एक जैसे नहीं,
फ़र्क, हमें समझदार करते हैं

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