खूबसूरत एक सुबह देखी,
मस्त अपनी पहचान लिए,
बिना कोई हलकान लिए,
बिखरी हुई
जगह जगह,
घाँस के तिनकों पर,
फूलों के मनकों पर
झुरमुट पर,
पत्तों के गाल लिए,
चलती भी साथ में,
रुकी हुई बरसात में
मकडी की बन बुन में,
पूरी मेरे साथ आ गई,
किसी को छोड़ कर नहीं,
कोई दिल तोड़ कर नहीं,
काश हम भी यूँ हो पाए,
अपने भी और उनके भी,
बिन टूटे टुकड़ों में,
पूरे जितने भी हैं,
सफ़र है,
मोड़ आएंगे,
मुड़ जाएंगे!
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