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मार्च, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तालाबंद अक्लमंद!!

मीलों थके पाँव अवाम चला है, बेशर्म भारत का नया नाम चला है! छोड़ दिया अपने हाल पर मरने, घर बैठ सुनते हैं सब काम चला है! शर्मसारः कितने आ गए मदद करने, बस किसी तरह से ये काम चला है! मर गए सड़कों पर कितने लोग, समझे? यूँ बीमारी से बचने का काम चला है! बदतरी का सलूक, दर दर भटकते से बस एक माफ़ी से उनका काम चला है! हुकम चला, लाठी ओ फरमान चला है इज़्ज़त से कहां कोई काम चला है? बिठा दिया बीच सड़क छिड़कने को दवा, और पाँच सितारा किसी का इंतज़ाम चला है? राम के कारनामे और किशन के प्रपंच, एकलव्य का अब भी काम तमाम चला है! कर दिया एलान घर बैठने का अचानक बेघर तभी से तले आसमान चला है! घर बैठे ताली मारते बड़े बेशर्म हैं आप, क़यामत इस मुल्क का अंजाम चला है!!

तालाबंद -रुकावट के लिए खेद ?

इंसान होने का नया दौर चला है, भीड़ है क्या और क्या शोर चला है? लाठी के साथ गाली है, ताली के साथ थाली है इतने शोर में कहां सवाली चला है? बंद हो गयीं सरकारी दफ़तर में सारी मुश्किलें,  सरकारी ज़मीर की सुना, नीलामी चला है! उड़ कर आ गयी बीमारी कोरोना,  अमीरों का नया इंतज़ाम चला है! मजदूर रहने के लायक नहीं रहा, मजबूर, काम से निकाले चला है? रईसों की दुनिया है अब ये इसलिए लिए हाथ खाली चला है! उनको बीमारी का डर है चार दीवारों में उनका घर है, बैठ गए हैं हाथ पर हाथ धरकर, टीवी पर सुनते हैं रामायण चला है! डाक्टरों के पास पूरे कपड़े नहीं हैं,  इक्कीसंवी सदी मेरा हिंदुस्तान चला है? कितने ऐश थे उन लोगों के, रोज कमा कर खाते थे, पेट काट कर अपना पैसे घर भिजाते थे, अच्छे दिन का मुखौटा था वो, समझे हैं अब, साथ बदहाली चला है! रास्ता लंबा था, उम्र छोटी थी, चर्बी कितनी और कितनी बोटी थी? पाँव लंबे नहीं थे पर चादर छोटी थी, मां बाप ही उसके सर की छत थी, वो चल रहे थे तो ये भी चला था, देर और दूर में खाली पेट चला था! आखिर...

प्यार कोरोना - Love in the time of Corona

प्यार में एक दूजे के मजबुर कर दिया हम ने खुद ही खुद को दूर (3 फीट) कर दिया साँसों से सांस मिली तो बात बढ़ जाएगी, इसलिए मास्क पहनने पर मजबूर कर दिया! पहले चिढ़ कहते, क्यों हाथ धो पीछे पड़े हो, अब हाथ धोते देख कर गज़ब मुस्कराते हैं!! यूँ तो साथ जीने मरने की कसम खाई है, दूर हो गए जबसे उनको खांसी आई है! धड़कने बढ़ जाती हैं बस देख के उनको, पर आजकल ये देख कर वो सहम जाते हैं! जो भी नज़दीकी थी अब दिल में रह गई, कहते हैं अब तो हम और पास आ गए?   ज़ुल्फ़ों तले गुजरेगी शाम ये वादा था पक्का, छंटवाते थे जो जुल्फें आज कटवा कर आ गए!! पहले अदा से इतरा के हाथ में ख़त थमाते थे, अब वो देख कर दूर से ही ताली बजाते हैं! तन्हाई में तस्वीर से मेरी बोलते होंगे, सोचा, ख़बर आई है कि मेरी कोविड रिपोर्ट ढूंढते हैं!!

कोरोनोलॉजी!

पहले क्या और बाद में क्या ये सच जान, इसको कहते क्रोनोलॉजी तड़ीपार ये ज्ञान! हस्पताल बुरे हाल में, नर्स डॉक्टर परेशान, आँख पे पर्दा डालने देते ताली/थाली ज्ञान! माथे पड़ती शिकन तो करोनॉलॉजी जान, डॉक्टर को थेँकु पहले और उस पे विज्ञान! पड़े लिखे बहक जाएं सुन के बात विज्ञानी, बिना सवाल मत मानो मूरख कब जानी? करत करत थाली को चोट, बापर होत निसान, अकल बड़ी के भैंस जा दे कोउ तुमको ज्ञान!! का दे कोउ गान, जो तुम कानन के कच्चे? लगे बघारन ज्ञान पड़ व्हाट्स के चिट्ठे!! व्हाट्सएप के गियान से अच्छे अच्छे घबराएं! न्यूटन, आइंस्टीन सुना कबर में लोट लगाएं!! कबर खुदी है ज्ञान की, अर्थी पर विज्ञान, सब शास्त्रन में लिखा है जो बोले सो मान! 

कोरोना ऐसा!

खाए सो थाली छेद करें, पीट पीट के तोय, ऐसी नाशुकरा हरकत से कोनहु भला न होए! कोका भला सोच कंधे से कंधा मिल आए, नेक इरादा आपका कोरोना कौन बताए? इतनी भी हद करो न, अक्ल घुटने में धरो न! शोर से भागती बीमारी?? जाके घांस चरो न!! भेड़ जो ढूंढन वो चला भेड़ न मिलया कोई, करनी सबकी बोल रही, हमउँ तो भेड़ होई!  भेड़चाल ऐसी के जा गरबा कर आए, पहले ताली पीटे अब खुद की पीठ थपाएँ! मिल कर सब मूरख भए, ताली जोर बजाए, डागदर सबहुँ सोच रहे, ये बीमारी कौन उपाय? थाली पीटत जग मुआ, कोरोना हुआ न कोई, तीन आखर वायरस का छुआ सो बाको होई!! कहे कबीर, माथा पीटत, अब हमसे न होई, ताली बजा के छींक दिया, अब हमरा का होई?

सवाल करो_न!!

(कुछ तो सोच लें‌ साथिओं?) खोखली नीयत ढोंग रचेगी, तमाशबीन ताली बजाएंगे!! खो गई है सोचने की कला, भेड़ बन कर भीड़ जाएंगे! (सवाल जरुरी हैं तरक्की के लिए) भिड़ रहे हैं किसी भी सवाल से, जल्दी ही वो भगवान कहलाएंगे!! उनने किया है तो सोच के बहुत, हम काहे अपनी अक्ल लगाएंगे? (बस हां में हां, कुछ सोचा कहां?) श्री राम बोल कर घर जलाएंगे, घर बैठे बैठे थाली चमकाएंगे!! देशभक्ति है घर बैठ जाएंगे, दिहाड़ी वाले आज क्या खाएंगे? (बिना सोचे, बिना समझे निर्णय) काल करे सो आज कर, आज! आज भीड़, कल कर्फ्यू लगाएंगे? सामाजिक दूरी तो हो गई, सुनिए? समझ से दूरी कैसे मिटाएंगे? ( ठेके पर मजदूर, लाखों बेघर और झूठ) जिनका कोई नहीं उनको राम है, भूखे पेट भगवान को प्यारे हो जाएंगे!! थाली पीटने से खत्म वाइरस इस विज्ञान से नई सदी जाएंगे? (बस बड़ी और खोखली बातें) मदारी शातिर हैं इस मुल्क के,  डमरू भी अब जमूरे बजाएंगे!! न काम को जा सकें ने धाम को! युँ हालात से हमको निपटाएंगे? ..

झुर्रियां!

मुझे झुर्रियाँ चाहिए, अपने  चेहरे की महीन दरारों में, यादनामा लिखना है, ज़िंदगी  के गहरे ज़ख़्म  झुर्रियों की तमाम परतों में, ज़ाहिर उन नज़रों पर, जो मुझ पर टिकती हैं, और हर एक उगते सूरज से मिलता तोहफा, नई सांस भरने का, वो देखा!! एक दोपहर मैं इतना मुस्कराया मेरा पूरा चेहरा भर आया!! -विलो टैगान

प्यार बीमार, चलो जाने दो!

तुम्हारी भी कुछ कमियां हैं, मेरी भी कुछ खामी है, मेरी मार मुझे पहचान न दो अपने प्यार के बीच ,  दो झापड़ न आने दो चलो जाने दो,  मैंनें मारा, मैंनें माना, मेरा प्यार भी, तुमने जाना, मैंनें माना मैं बदलूंगा, मेरी कोशिश जारी है, आज फिर हाथ फिसल गए, अपने प्यार के बीच ,  दो झापड़ न आने दो चलो जाने दो, मैंने धमकी दी, अंजाने में, मारा तुमको, आवेश में,  वो गुस्सा था मेरे भेष में, जानती तो हो अब मान जाओ, चलो साथ अपने मकान आओ अपने प्यार के बीच , दो झापड़ न आने दो चलो जाने दो,  क्यों दूसरे से बात की, (2झापड़) बदन की क्यों नुमाइश की? (स्लीवलैस?) (दो घूंसे) क्यों मेरे सिवा कोई जरूरी है? (दे लात) ये हाथ में क्या ग्लास है? क्यों और कोई प्यास है? क्यों कोई और आस है? मेरा प्यार तुमसे मांगता है, ये दो एक छोटी बात है! क्यों इस पर कोई सवाल है? क्या यही तुम्हारा प्यार है? और शिकायत ये क्यों मार है? अपने प्यार के बीच , दो झापड़ न आने दो चलो जाने दो, सुनो मेरी भी आह को, जो टूटा हूँ, इस चाह को, क्या तुम नहीं मुझे ज...

मेरा प्यार बेशु_मार!

प्यार इतना हद से ज्यादा  की हाथ उठ गया, वो रोई, मैं रोया मसला मिट गया! प्यार इतना हद से ज्यादा उसको मुस्कराते देख किसी और को हाथ उठ गया मैंने फिर खुद को भी मारा मैं ही बेचारा! प्यार इतना हद से ज्यादा वो मेरी है हमेशा रहेगी,  मेरी बात नहीं मानी तो  हाथ उठ गया मेरा प्यार मैं लाचार अब नहीं दोबारा! प्यार इतना हद से ज्यादा दिन-रात, चार पहर प्यार के लिए तुम थक गईं? मुझको नहीं गंवारा, इसलिए हाथ उठ गया, मेरा व्यवहार मेरा प्यार, हर बार लगातार! प्यार इतना हद से ज्यादा तुम ही मेरी सब कुछ मैं भी तुम्हारा दाता, हमारी पसंद एक है, तुमने सवाल पूछ डाला? फिर हाथ उठ गया, मेरी मर्ज़ी, मेरा प्यार, और कुछ भी ख़बरदार! प्यार इतना हद से ज्यादा मेरा सब कुछ तुम्हारा खुशी, दुख, डर, गुस्सा इसमें भी तुम्हारा हिस्सा था गुस्सा उस से, किसी पर, सो हाथ उठ गया मेरा गुस्सा, मेरा प्यार करो स्वीकार! प्यार इतना हद से ज्यादा थप्पड, घुंसा, बेल्ट, ड़ंडा, सुलगती आग,  उस पल जो आए हाथ नहीं तो फिर...

करोना पुराण!

जय श्री राम करोना,  भारत मां जय करोना,  देशभक्ति करोना,  बीमारी करोना? कोई इलाज़ करोना? नया दौर है, नयी बात करोना? प्यार सच में है तो दूर रहो न! मत छूना बात बड़ जाएगी,  सच है अगर तो दिल से करोना!! टाइफाइड, टीबी, मलेरिया, डेंगू , पूछ रहे ये कौन कॅरोना? बरसों का साथ है हमसे ही मरो न! देखत सुनत समझ न आई, कॅरोना की खबर जो आई, व्हाट्सअप कल्याण दिलाई, गौमूत्र गोबर हमही लेआई!! न करो कि कॅरोना ये दुविधा आई, अस्पताल से मरीज भाग जाई! साथ भी है और दूर भी, क्या करें? कुछ कॅरोना! अकेले हम अनेक हैं, साथ रहे तो अकेले! करें क्या ये सवाल है,  जो समझ आए करोना!! मत और राम राम कॅरोना कुछ काम की बात कॅरोना! नफ़रत की बस हुई बातें, किसी के भले की बात कॅरोना!!

क्या गुनिए, क्या गुनगुनाइए!

गोली मारो कहबे, मूरख सोच के नेता चुनिए सहनशील संस्कृति बीरों की कथनी सुनिए! कथनी के सब बीर, कही अनसुनी करिए, बातों के तीर बचने, चलीं अब बहरा बनिए! बातों के सब तीर, मलहम का कर बनिए फिसली हुई जबान जालिम कहिये-सुनिए कहिये-सुनिए सबकी, पर यूँ ना गुनिये काँटों का, का दोस् ,जीवन आप जो बुनिए? बुनिए जीवन ऐसा जिसमें जगह हो सारी, मैं, मेरा, मुझसे की न लगने पाए बीमारी! लगे बीमारी ऐसी तो पूरी उमर सताए, अपनी ही तस्वीर सजाने तू वक्त गवाए! वक्त गवाएं सारा के बने गोरा-सुंदर क्रीम बेचते मदारी बने कौन है बंदर? बंदर बने बली के, हैं छुरी में धार लगाते, मुंह में इनके राम, पीठ पर छुरी चलाते! छुरी पीठ पर जैसे बनी सरकारी नीति, मिट्टी पैरों के नीचे के बनी है रेती! रेत बन गए सपने सब हाथों से छूटे? टूट गए हैं कितने, कितने खुद से झूठे! खुद से झूठ बोल रहे उनको क्या समझाएं, कहाँ आगयी दुनिया और कहाँ अब जाए?