क्या आज सच में महिला दिन है?
या बस एक पोस्टर कल जिसको बिन है?
महिला दिवस है,
जन्म दिवस या पुण्यतिथि?
बोलिए क्या है स्तिथि?
ज़मीनी हालात?
ख़बर क्या है, नज़र क्या?
एक दिन का असर क्या?
364 का सबर क्या?
और एक दिन ढल गया,
एक दिन की बात थी,
कल से, काल से
अब क्या सवाल करें?
नाउम्मीदी के तमाम ज़ख्म भरते नहीं,
हालात आज भी सुधरते नहीं,
औरत आज भी चीज़ है, नाचीज़,
दरख़्त बने हुए मर्दानगी के बीज़!
आज महिला दिन है,
किस पर आपने फबती नहीं कसी?
किस पर नज़र आज नहीं फेरी?
किस धारणा को आज तज़ दिया?
क्या सामने है जिसको सच किया?
और अब कल? और परसों, फिर नरसों...
तुम भी क्या याद रखोगी,
आज महिला दिन है,
और कुछ नहीं तो एक चिन्ह है?
डूबते को तिनके का सहारा,
सच को पर्दा,
आज औरत होने को डिस्काउंट है!
कल से वही दुनिया कोई डाउट है?
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