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आज़ादी के गुलाम!


किसकी मज़ाल की आज़ादी पर सवाल करे,
पुलिस, अफसर, जज, पत्रकार सब साथ हैं!

कश्मीर से आज़ाद हैं? कश्मीर में आज़ाद हैं? 
कश्मीर के आज़ाद हैं? या क्या फ़र्क पड़ता है?

भारत की सरकार आज पूरी आज़ाद है, 
जिम्मेदारी से, जवाबदेही से, रामकृपा!


ऐसी भी क्या आज़ादी के ख़ामोश बैठे हैं, 
सब जानते समझते बोलती बंद हो गई?

सुप्रीम कोर्ट के जज हैं, या कोई दरबारी? 
किस को न्याय है किसकी तरफ़दारी?


सहूलियत की जंजीरें कैसे तोड़ दें, 
आज़ादी के लिए कैसे मस्ती छोड़ दें!

खामोशी आज़ाद है, सवालों को कैद है, 
क़ातिल आज़ाद है बेगुनाह सूली चढ़ें!


चुप रहिए कि आप आज़ाद हैं, 
बोलने वाले सब बरबाद हैं!

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