अपने से लड़ाई में हारना नामुमकिन है, बस एक शर्त की साथ अपना देना होगा! और ये आसान काम नहीं है, जो हिसाब दिख रहा है वो दुनिया की वही(खाता) है! ऐसा नहीं करते वैसा नहीं करते लड़की हो, अकेली हो, पर होना नहीं चाहिए, बेटी बनो, बहन, बीबी और मां, इसके अलावा और कुछ कहां? रिश्ते बनाने, मनाने, संभालने और झेलने, यही तो आदर्श है, मर्दानगी का यही फलसफा, यही विमर्श है! अपनी सोचना खुदगर्जी है, सावधान! पूछो सवाल इस सोच का कौन दर्जी है? आज़ाद वो जिसकी सोच मर्ज़ी है!. और कोई लड़की अपनी मर्जी हो ये तो खतरा है, ऐसी आजादी पर पहरा चौतरफा है, बिच, चुड़ैल, डायन, त्रिया, कलंकिनी, कुलक्षिणी, और अगर शरीफ़ है तो "सिर्फ अपना सोचती है" ये दुनिया है! जिसमें लड़की अपनी जगह खोजती है! होशियार! अपने से जो लड़ाई है, वो इस दुनिया की बनाई है, वो सोच, वो आदत, एहसास–ए–कमतरी, शक सारे, गलत–सही में क्यों सारी नपाई है? सारी गुनाहगिरी, इस दुनिया की बनाई, बताई है! मत लड़िए, बस हर दिन, हर लम्हा अपना साथ दीजिए. (पितृसता, ग्लोबलाइजेशन और तंग सोच की दुनिया में अपनी ...
बहुत ही सुन्दर व लाजवाब अभिव्यक्ति लगी ।
जवाब देंहटाएंBahut Khub.
जवाब देंहटाएंhttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
Word verification bhi hata dijiye, comment karana sabke liye easy ho jaaega.
Shubhkaamnaae
wow..! the hindi is a bit oo much for me though !!!
जवाब देंहटाएंemotions aptly captured... facility with hindi is humbling. i wish i could write like this in ANY language. brilliantly done...
जवाब देंहटाएंgreat.... worth reading.........
जवाब देंहटाएंइन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
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