मर्ज को कहिए के उनको माफी है,
आप को कम करने की कोशिश,
नासमझी है,
जाने दीजिए,
ये समझना आसान नहीं ,
गुनगुन, गाने से कुछ कम नहीं,
असल में, गाने की दम है,
कितनों की आंखें नम हैं,
आपके गुनगुन करते मिज़ाज़ का ये दम है,
ये दौर सच भी है और भरम भी,
गुज़र जाएगा,
फिर किसी दिन बैठ,
जी भर गाएँगे,
हम इंतज़ार में हैं,
आप कब आएंगे?
तब तक सब से गुजारिश है,
रोज़ ज़रा सा, एक लम्हा बचा,
क्या हम सब गुनगुनाएंगे
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