आपके कदमॊं कि निशान हैं बस!
मुसाफ़िर, कोई रास्ता नहीं है!!
आप चलिए और वही आपका रास्ता है,
आगे बढिए और अपना रास्ता बनिए,
मुड कर देखिए और जानिए,
आ पहुँचे, वो मोड़?
फिर कभी उस पर न जाना हो,
मुसाफ़िर, कोई रास्ता नहीं है
समंदर में किसी नौका की टिमटिमाती रोशनी है! बस!
- एंटोनियो मचाडो की मशहूर स्पेनिश कविता
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