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वहाटीज़ अप?

आज आईटी सेल से आपके व्हाट्सअप पर क्या खबर आई?
रॉफेल के कागज पर किसी ने पकौड़ी खाई?
चाय पर चर्चा जोरदार थी बड़ा रंग लाई,
बालाकोट में कितने मरे, अलग अलग गिनती बताई!
बेरोज़गारी छप्पर फाड़ कर आसमान चली आई,

नौकरी तो बहुत हैं पर नौजवान लेने नहीं आई!!
 TV पर पाकिस्तानी हमले से देशभक्ति जाग आई,
ऐसे में नौकरी खोजने केवल देशद्रोही जा पाई!!

देश के हालात में जबरजस्त तरक्की आई,
हर गली कूचे में आज़ाद घूम रही गाय माई!!
स्वच्छ भारत का कचरा कम करने को आई,
एक तीर से दो शिकार यही कहलाई☺️!
गाय की गाय, चाय की चाय!!

अपोजिशन के हल्ले से रॉफेल आने देर लगाई,
इसलिए रॉफेल के कागज की हवाई जहाज़ उड़ाई!
कचहरी में कह दियेन मीलॉर्ड, का जानें कौन चुराई!
पब्लिक बुड़वक ये बात इनको कौन समझाई?

चौकिदार के चौकड़ीदार सामने आ रही है सच्चाई,
पर धर्म के नाम पर आँख पट्टी बांधे वो कैसे हटाईं?
मूरख भरोसा कर बैठे के मंदिर वहीं बनाई?
राम के नाम के धंधे में बहुते कमाई!
पैसा तो छोड़ी, भर भर वोट भी आई!!
जो ज्यादा चूँ-चपड़ करे उसकी ले ठुकाई!

कतना झूठ बोलेगा, कोई ज़रा बताई?







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साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

जिंदगी ज़हर!

जिंदगी ज़हर है इसलिए रोज़ पीते हैं, नकाबिल दर्द कोई, (ये)कैसा असर होता है? मौत के काबिल नहीं इसलिए जीते हैं, कौन कमबख्त जीने के लिए जीता है! चलों मुस्कुराएं, गले मिलें, मिले जुलें, यूं जिंदा रहने का तमाशा हमें आता है! नफ़रत से मोहब्बत का दौर चला है, पूजा का तौर "हे राम" हुआ जाता है! हमसे नहीं होती वक्त की मुलाज़िमी, सुबह शाम कहां हमको यकीं होता है? चलती-फिरती लाशें हैं चारों तरफ़, सांस चलने से झूठा गुमान होता है! नेक इरादों का बाज़ार बन गई दुनिया, इसी पैग़ाम का सब इश्तहार होता है! हवा ज़हर हुई है पानी हुआ जाता है, डेवलपमेंट का ये मानी हुआ जा ता है।