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निर्माण गीत a Mary Oliver poem


गरम मौसम कि एक सुबह, 
बैठ, एक टीले के नीचे एक जगह, 
मैं सोच रही था ‘ईश्वर’!
समय सदुपयोग के लिए 
एक अच्छी वज़ह!!

नज़र आया एक मात्र कीड़ा, 
टीले की रेत को सरकाती
इधर-उधर, लुढक-पुढक, 

भरपूर जोश, 
विनम्र सोच!
उम्मीद है ये हरदम
ऐसा ही रहेगी, (यही दमखम)

हम में से हर एक 
अपने रास्ते चलते
इस जग को रचते!

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