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देखते हैं, क्या?




जिसे देखते हैं, 

वो भी देखता है,


नज़र मिल रही है, 

या बस एक इत्तफाक है,

ये वो लम्हा है,

जो खास है.


और उसके पहले जो पल था,

वो भी खास ही हुआ?

नहीं तो ये मिलना इत्तफाक न हुआ?


और नज़र में आ गए,

उसके बाद? 


वो भी खास ही हुआ न?

नहीं तो वो लम्हा क्या बकवास हुआ?

जिसके बाद कुछ न खास हुआ?




नज़रिए की बात है, 

सच

एक लम्हा भी अगर

जिंदगी का खास है,

तो ताउम्र जिंदगी खास है

देख सकें तो देखें,

सच तमाम है इर्द–गिर्द,

जो आप चुनेंगे,

वो ही आपका खास है!!

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