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भारत माँ की.....

भारत माँ की
बेटियों को पेट में मारा जाता है, जय
भारत माँ की
जमीं पर जीवन उगाने वाले आत्महत्या कर रहे हैं, जय
भारत माँ की,
साँसे फूलती हैं तरक्की के धुँए से, जय
भारत माँ की,
औकात एक मज़हब, एक भाषा तक सिमटा दी, जय
भारत माँ की,
बेटियां बाज़ार में जिस्म बेचती है, और बेटे खरीद रहे हैं, जय
भारत माँ की,
ठेकेदारी, गुंडों के हाथ पड़ गयी है, जय
भारत माँ की,
इंसानियत एक जात है, यहां पैदा होना अपघात है, जय
भारत माँ की,
रसोई एक अखाडा है, गाय ने इंसान को पछाड़ा है, जय
भारत माँ की,
शिराएँ (नदीयाँ) श्री नाला बनी है, शंकर को रवि का श्राप लगा है, जय
भारत माँ की,
औलादें, सड़क किनारे और स्टेशन प्लेटफॉर्म पर बीड़ी मारती और डंडे खाती हैं, जय
क्या आप को अब भी लगता है?
भारत एक माँ है?
या ये कहना गुनाह है?
आपकी भी जय!!

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साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

जिंदगी ज़हर!

जिंदगी ज़हर है इसलिए रोज़ पीते हैं, नकाबिल दर्द कोई, (ये)कैसा असर होता है? मौत के काबिल नहीं इसलिए जीते हैं, कौन कमबख्त जीने के लिए जीता है! चलों मुस्कुराएं, गले मिलें, मिले जुलें, यूं जिंदा रहने का तमाशा हमें आता है! नफ़रत से मोहब्बत का दौर चला है, पूजा का तौर "हे राम" हुआ जाता है! हमसे नहीं होती वक्त की मुलाज़िमी, सुबह शाम कहां हमको यकीं होता है? चलती-फिरती लाशें हैं चारों तरफ़, सांस चलने से झूठा गुमान होता है! नेक इरादों का बाज़ार बन गई दुनिया, इसी पैग़ाम का सब इश्तहार होता है! हवा ज़हर हुई है पानी हुआ जाता है, डेवलपमेंट का ये मानी हुआ जा ता है।