एक सफ़र के पुरे हो गये,
ज़िन्दगी को ज़रा अधूरे हो गए,
बाँट आये लम्हे अज़ीज़ कई मोड़,
और चंद रिश्तों के मज़बुरे हो गए!
अंजान जगह थीं और,
हर कोई अपना निकला,
सच जो भी आया सामने, सपना निकला!
अज़नबी बन बन यक़ीन सामने आते रहे,
काम अपना था और अपने काम आते रहे
हर लम्हा लोग मुस्कराते रहे,
यूँ सब अपनी बात समझाते रहे।
अपने इरादों के सब काबिल निकले,
हमें उस्ताद कहें ऐसे सब फ़ाज़िल निकले!
आ जाइए तशरीफ़ लेकर जब मर्ज़ी, दावत है,
सीख़ ही जायेंगे कुछ तो, रवैया है, आदत है
और एक सफ़र मकाम हो गया,
मुसाफ़िर का काम आसान हो गया!
इतने ठिकाने मिले दिल घर करने को,
अपने से ही हम ज़रा बेगाने हो गये!
अधूरे फ़िर अपने फ़साने हो गये,
कुछ वो बहके कुछ हम दीवाने हो गये!
ज़िन्दगी को ज़रा अधूरे हो गए,
बाँट आये लम्हे अज़ीज़ कई मोड़,
और चंद रिश्तों के मज़बुरे हो गए!
अंजान जगह थीं और,
हर कोई अपना निकला,
सच जो भी आया सामने, सपना निकला!
अज़नबी बन बन यक़ीन सामने आते रहे,
काम अपना था और अपने काम आते रहे
हर लम्हा लोग मुस्कराते रहे,
यूँ सब अपनी बात समझाते रहे।
अपने इरादों के सब काबिल निकले,
हमें उस्ताद कहें ऐसे सब फ़ाज़िल निकले!
आ जाइए तशरीफ़ लेकर जब मर्ज़ी, दावत है,
सीख़ ही जायेंगे कुछ तो, रवैया है, आदत है
और एक सफ़र मकाम हो गया,
मुसाफ़िर का काम आसान हो गया!
इतने ठिकाने मिले दिल घर करने को,
अपने से ही हम ज़रा बेगाने हो गये!
अधूरे फ़िर अपने फ़साने हो गये,
कुछ वो बहके कुछ हम दीवाने हो गये!
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