एक दूसरे की जान लेते हैं,
ताकत के ज़ोर पर,
बेहिसाब लोगों को मार डाला,
मनुष्य ने प्राणी कहलाने का,
अपना हक़ मार डाला!
अपनी ही वहशियत का शिकार है,
तशदुद इसका अज़ीज हथियार है!
तशदुद इसका अज़ीज हथियार है!
इंसानियत कोई बड़ी कीमती चीज है,
शायद इसलिए किसी तिज़ोरी बंद है!
शायद इसलिए किसी तिज़ोरी बंद है!
अपने गुनाह इतिहास में शान हैं,
कोई और करे तो वो हैवान है!
कोई और करे तो वो हैवान है!
हर दौर में इंसानियत की फसल फलती है,
उसे हज़म करके हैवानियत पलती है!
उसे हज़म करके हैवानियत पलती है!
सियासत कब्रों की खेती है,
ज़मुहरियत में भी होती है!
ज़मुहरियत में भी होती है!
मानव ही मानव का शिकारी है,
इंसानियत चीज़ बड़ी बेचारी है!
इंसानियत चीज़ बड़ी बेचारी है!
ताकत के ज़ोर पर,

मनुष्य ने प्राणी कहलाने का,
अपना हक़ मार डाला!
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