ढाई
आखर रट-रट
के सबको दिये बताये,
लिये
एसिड़ घुमत है चेहरा कोई मिल
जाये!
लगे
लूटने इज्जत इतनी कम पड़ती है,
मर्दों
की दुनिया की ये कैसी गिनती
है?
बड़े
भिखारी मर्द,
प्राण
कब इनसे छूटे?
हाय
सबल पुरुष तेरा इतना ही किस्सा,
आँखों
में है हवस और हाथों में हिंसा?
हाय अबला नारी तेरी यही कहानी,
फ़िल्मों में पैसा वसूल है तेरी जवानी!
लातों
के भूत बातों से नहीं मानते,
परिभाषा
है मर्द की,
जो
नहीं जानते!
नहीं
चलती कहीं तो औरत का शिकार है,
मर्द होना बड़ा फ़ायदे का व्यापार है!
मर्द होना बड़ा फ़ायदे का व्यापार है!
कमज़ोरी
मर्द की औरत के गले फ़ंदा है,
आदमी
कौन सी सदी का भुखा नंगा है!
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