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हम सफ़र!

हो गयी मोहब्बत है तो गले मिल लीजे,
बात आगे बड़ गयी तो मुश्किल होगी!


इकरार है तो सफ़र साथ कर लीजे,
यूँ नहीं कि सपनों में सबर कीजे!

नासमझी का एक और नाम मोहब्बत है,
वरना इंसा-इंसा में फ़रक कोई करता है?

है चार दिन जिंदगी ये तय किये बैठा हूँ, 
कहाँ जाऊं कि तुझे दिल किये बैठा हूँ!!



हम सफ़र हैं तो कभी मोड़ आयेंगे,
हमसफ़र हैं क्या कभी छोड़ पायेंगे!

मोहब्बत है तो शिकायत की गुंजाईश नहीं,
पसंद न आये ये ऐसी कोई नुमाईश नहीं!

मुहब्बत में कोई भी परेशानी जायज़ नहीं,
दीवानगी में ऐसी कोई भी रवायत नहीं!

कुछ ऐसी हकीकत है, जैसे सपनों‌ की शरारत है,
मुस्कराते हैं ऐसे जैसे हम कोई हसीन आदत हैं

चलिये हम मोहब्बत को एक नाम देते हैं
दुआ दीजिये, आपको ये काम देते हैं!

यूँ अपने ज़ज़बातों को अंज़ाम देते हैं, 
आप हाँ करिये मोहब्बत नाम देते हैं!

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