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वक्त साकी वक्त पैमाना!




इश्क सलामत है कयामत को असर करने को ,
युँ तो उमर गुजरने को फ़क्त समय काफ़ी है!

इश्क़ इबादत है क़यामत को असर होने को,
युँ तो रोज़ का दुआ-सलाम काफ़ी है!


वक्त साकी है हंसी ये शाम होने दो,
लम्हों को छलकता जाम होने दो !







पैमाने में मत ड़ालो हर एक पल को,
साथ को मेरे यूँ ही अंजाम होने दो!


सफ़र ही बेहतर अपने, चाहे कुछ नाम रहने दो,
मुसाफ़िर हमसफ़र हैं, रास्तों को काम रहने दो!

 

अकेलापन् गम हुआ तो क्या अकेलापन कम होगा?
चंद लम्हे आँखॊं का मौसम जरा नम होगा,
बदल जायेंगे रास्ते किसी मोड़ पर आकर
पलक् झपकते बदला हुआ मौसम होगा!





वक्त बीतेगा तो उनका भी गम कम होगा,
मुस्कराएंगे तो वही मौसम होगा,
'सेल्फ़ी' ली कभी ज़ुल्फ़ लहरा के
तस्वीर में एक खालीपन होगा!


दूर है पर इतने भी मज़बुर नहीं‌ हैं,
मालिक हैं वो मेरे, हुज़ूर नहीं हैं!



नज़दीकियों के इतने मजबूर नहीं हैं,
अपने ही हाथों से हम दूर नहीं है!

युँ तो हम युँ भी मुस्कराते हैं,
और बात है जब करीब आते हैं!



हर साँस दिल को एक खबर देती है,
हर खबर खुद को ढुंढते नज़र आते हैं!

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