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कभीकभार


कभीकभार,
अगर आप सजग हो
जंगल से गुजरें,

 
सांस लेते,
उन पुरानी कहानियों
की तरह,

 


किस के लिये मुमकिन है
झिलमिलाते पत्तों के उपर से
बिन आहट गुजर पाए


 

आप उस जगह पर होंगे
जिसका एक ही है
काम,
 



आपको हैरान-परेशान करना
ज़रा ज़रा सी मामूली,
और दिल-दहलाने वाली
गुज़ारिश करके,


न जाने कहां से सूझी
और अब चारों तरफ़
हाथ फ़ैलाते।
 



गुज़ारिश ये,
कि फ़िलहाल जो भी कर रहे हो
उसे रोक दो, 



और रोक दो वो बनना,
जो तुम बन रहे हो,
उस काम में ड़ूबके


सवाल,
जो एक ज़िंदगी बनाते
या बिखेरते हैं,
 


सवाल
जिन्होंने बड़े सब्र से
आपका इंतज़ार किया है,

सवाल
जिनको कोई हक नहीं,
कि वो ज़ाया हो जायें!


- ड़ेविड व्याईट
 (अनुवाद -  David Whyte

from Everything is Waiting for You
©2007 Many Rivers Press)

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