सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

दिल और मुकम्मल मोहब्बत!




दो दिलों के बीच एक झरोका है,

दो ज़िस्मों से फ़रक जो हमेशा अलग हैं,
दो चिराग एकरूप न हों,
जब रोशन होते हैं तो एकात्म हो जाते हैं
आशिक की तलाश अंजुमन नहीं,
जब तक चाहने वाले की भी तलाश यही न हो,
आशिकों की आशनाई उनका ख्याल बनती है,
दिल-ए-अज़ीज़ की मोहब्बत,
हमें मुकम्मल और रोशन करती है!
- रूमी


अफ़सोस न करो, जो भी खोया है,
कुछ और बनकर वापस आता है,
ज़ख्म वो जगह हैं,
जहाँ से रोशनी हमारे अंदर का रस्ता ढूंढ्ती है,
प्यार करने वाले आखिरकार कहीं नहीं मिलते,
वो हमेशा से ही एक-दुसरे में मौज़ूद हैं, 
प्यार को खोज तुम्हारा काम नहीं है,
काम है उन सारी दीवारों को गिराना, 
जो तुम्हारे रास्ते आती हैं और,
जो तुम ने अपने अंदर बनाई हैं!

जब तुम्हारी रूह तुम्हारा काम करती है, 
एक दरिया अंदर बह उठता है,
आनंद का,
क्यों अपने को कैद कर रखा है?
जब दरवाज़ा पूरा खुला हुआ है?

ये मोहब्बत है, 
आगे के अंजाने आसमानों तक ले जाने वाली,
हर पल हजार पर्दों को हटाने वाली, 
पहले . . . 
ज़िन्दगी से अपनी पकड़ छोड़, 
और फ़िर एक कदम आगे, बिन पैर,
अपनी होशियारी बेच ताज़्ज़ुब खरीद लो, 

हर कोई एक खास मकसद  के साथ आया है,
और उस मकसद तक पहुँचने की चाह के साथ,

मोहब्बत करने वाले को, बदनाम, दीवाना, खोया खोया  होने दो, 
कुछ बुरा हो जायेगा इस बात से परेशान होने को, 
कोई न कोई शरीफ़ इंसान मिल जायेगा,
मोहब्बत करने वाले को 
आशिक रहने दो! 
-रूमी

धुल में दुनिया कि झलक,
जंगली फूल में जन्नत कि साँस,
हथेली पर अनंत का ठहराव,  
एक लम्हे में दुनिया मुकम्मल  
- कभी कहीं किसी ने कहा

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

जिंदगी ज़हर!

जिंदगी ज़हर है इसलिए रोज़ पीते हैं, नकाबिल दर्द कोई, (ये)कैसा असर होता है? मौत के काबिल नहीं इसलिए जीते हैं, कौन कमबख्त जीने के लिए जीता है! चलों मुस्कुराएं, गले मिलें, मिले जुलें, यूं जिंदा रहने का तमाशा हमें आता है! नफ़रत से मोहब्बत का दौर चला है, पूजा का तौर "हे राम" हुआ जाता है! हमसे नहीं होती वक्त की मुलाज़िमी, सुबह शाम कहां हमको यकीं होता है? चलती-फिरती लाशें हैं चारों तरफ़, सांस चलने से झूठा गुमान होता है! नेक इरादों का बाज़ार बन गई दुनिया, इसी पैग़ाम का सब इश्तहार होता है! हवा ज़हर हुई है पानी हुआ जाता है, डेवलपमेंट का ये मानी हुआ जा ता है।