मुसाफ़िर भी हैं,
मेहमान भी,और हम ही
मेज़बान भी!
अनगिनत जीवन को रवानी,
हवा ओ पानी,
कहाँ कोई शिकवा,
शिकायत?
जब मर्ज़ी, आईए
समा जाईए!
कहाँ कोई घर,
साथ बहुत कुछ, ओ
सब हमसफ़र,
वही नज़रिया, वही असर!
साहिल के मेहरबान,
हर लहर संदेश,
हर लहर संदेश,
दो पल के मेहमान,
सब चल रहा है,
या बदल रहा है!
हर घड़ी,
पंछी को पूछिए,
सब चल रहा है,
या बदल रहा है!
हर घड़ी,
पंछी को पूछिए,
या सच्चाई के अनेक नाम?
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