मैं अपने दायरों में फिर भी बंधा नहीं,
उड़ने के लिए मुझे एक आसमां बहुत है
अपनी आँखों से दुनिया को ख़्वाब दिखाते हैं,
आप पानी डालते रहिये हम आग बनाते हैं
ये माना गहरे पानी में नहीं आपकी नांव के सवार
बैठकर साहिल पर हमने भी किये कुछ शिकार
वो और होंगे जो कतार बनाते हैं
हम वो नहीं जो गिनतियों में आते हैं,
समझदार को सिर्फ एक इशारा है,
डूबते को तिनके का सहारा है
तराशने वाले के हाथों में उसकी जान
आपको लगते हैं अगर अब भी अनजान
चलिए समझिए यही है हमारी पहचान
बंजारों के लिए सफर भी एक मक़ाम होए है,
शुक्रगुजार हो दिल जो एक पल भी कोई साथ होये है(१९९७ में नौकरी की तलाश में तैयार अपने पहचान पत्र/Resume से उद्वत)
... बेहद प्रभावशाली
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