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रास्ते के कंकड़

फुर्सत के दिन, या दिन में फुर्सत नहीं,
देखिये करवट लेती हैं हसरतें कहीं,
दिल की हरकतों के क्या दाम कीजे
शौक अच्छे हैं, काम मत कीजे!


हम अपना सफर होँगे, अपने रास्तों का असर होँगे,
मील का पत्थर नहीं बनना, काबिल हमसफ़र होँगे


उनके देखने में कुछ ऐसा असर, तलाश करते हैं कहीं कोई कसर,
उम्मीद को क्या समझाएं, नज़र-अंदाज़ हैं या अंदाज़-ए-नज़र !


खुद को खोना है, खुद को प्यार करना
उम्मीद से आज़ाद हो, फिर यार करना

आपने सपने चुने, और हम काबिल बनें?
तस्वीर आपकी, रंग हम क्यों बनें?


अधूरे अल्फाज़ रास्ता भटकते हैं,
कदम कब इनकी राह तकते हैं,,
हो गए अजनबी अनगिनत लम्हे,
अब हम आइना तकते हैं !

वक़्त चलता है, फिसलता है, टलता है, निकलता है
मुश्किल हैं ऐसे लम्हे जब खुद का साथ मिलता है
चलता है, मुड़ता है, मिलता है बदलता है
आपके पैरों से ही रास्ता निकलता है....


ख़ामोशी रास्ता ढूंड लेगी, तुम साथ चलते रहना
खुद तक पहुँच जाओ तो अपना सलाम कहना,

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