सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अरमान, जज़्बात और सामान

कुछ लम्हे उम्मीद के, कुछ साथी नसीब के,
जिंदगी अब भी गुज़र रही है करीब से

अरमान
सपनों मे आसान बनते हैं
आँख उठती है तो आसमान बनते हैं
इरादॊं के सामान बनते हैं,
बेहतर है आप अपनी जान बनते हैं

हर जज़्बात कहाँ शब्दॊं मै बयां होते हैं,
कुछ अरमान रंगॊं मै जवां होते हैं,
हर सच्चाई नज़रॊं से नज़र नहीं आती,
वक्त के दीवारॊं पर निशाँ होते हैं

नजर उठ कर कहाँ तक पहुंचेगी,
उम्मीद अब कौन से अरमानो को सीचेंगी,
अपने एहसासॊं से जुड़े रहिये,
पुकार आपको कशिश बन कर खींचेगी..


क्यॊं इंतज़ार करते हैं आप ही जिन्दगी हैं
इरादे आप के, आप की बंदगी हैं,
कदम उठाइये और जमीं नज़र आएगी
सपने हॊंगे और नींद नहीं आएगी

अश्क बहते हैं ज़ज्बातॊं कि जमीं पर
उम्मीद कायम रहे जरा यकीं कर
मुस्करा और मौसम को हसीं कर
हल्का लगेगा, चल मुश्किलॊं को यतीम कर


कुछ नयी बात करें अपने होने में
क्या मजा, जो है, उसे खोने में
आज जी भर सो लो, रात होने में
सपने, काम आयेंगे सुबह बोने में

तुम, सफ़र हो अपना!
तो रास्ता क्या हो ?
मोड़ मिलेंगे सो वास्ता क्या हो
सच को हमसफ़र रखना
क्या सोचें अंजाम क्या हो

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पूजा अर्चना प्रार्थना!

अपने से लड़ाई में हारना नामुमकिन है, बस एक शर्त की साथ अपना देना होगा! और ये आसान काम नहीं है,  जो हिसाब दिख रहा है  वो दुनिया की वही(खाता) है! ऐसा नहीं करते  वैसा नहीं करते लड़की हो, अकेली हो, पर होना नहीं चाहिए, बेटी बनो, बहन, बीबी और मां, इसके अलावा और कुछ कहां? रिश्ते बनाने, मनाने, संभालने और झेलने,  यही तो आदर्श है, मर्दानगी का यही फलसफा,  यही विमर्श है! अपनी सोचना खुदगर्जी है, सावधान! पूछो सवाल इस सोच का कौन दर्जी है? आज़ाद वो  जिसकी सोच मर्ज़ी है!. और कोई लड़की  अपनी मर्जी हो  ये तो खतरा है, ऐसी आजादी पर पहरा चौतरफा है, बिच, चुड़ैल, डायन, त्रिया,  कलंकिनी, कुलक्षिणी,  और अगर शरीफ़ है तो "सिर्फ अपना सोचती है" ये दुनिया है! जिसमें लड़की अपनी जगह खोजती है! होशियार! अपने से जो लड़ाई है, वो इस दुनिया की बनाई है, वो सोच, वो आदत,  एहसास–ए–कमतरी, शक सारे,  गलत–सही में क्यों सारी नपाई है? सारी गुनाहगिरी, इस दुनिया की बनाई, बताई है! मत लड़िए, बस हर दिन, हर लम्हा अपना साथ दीजिए. (पितृसता, ग्लोबलाइजेशन और तंग सोच की दुनिया में अपनी ...

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

एलिमेंट्स

  कोई लड़ाई नहीं है, हवा पानी पहाड़ में, जमीन आसमान में, आग और पानी में? पानी बुझा देता है, आग उड़ा देती है आपको लगता है ये लड़ाई है? खासी तंग सोच पाई है! यही सोच तहज़ीब बनी है, तरक्की का बीज बनी है, पीछे छोड़ देना, आगे जाने की शर्त है, ये कैसी यही कवायद है? आखिर सीखा क्या हमने, कुदरत से? पानी और आग की दोस्ती? जब साथ आते हैं,  हवा हो जाते हैं! हवा और पानी  जमीन की सवारी हैं, सदियों से ये सफर जारी है! कोई किसी से कम नहीं, न कोई किसी पर भारी! हर कोई वजह है,  जगह नहीं, पानी, हवा, आग, जमीन, कायनात के कलाकार हैं, कई प्रकार है, तमाम आकार हैं, और जहां जरूरी हो, शून्य, सिफर होने तैयार हैं! बड़ा छोटा, कम ज्यादा, आगे पीछे, ऊपर नीचे इस द्वंद, इस जंग में फंसे आप कब इन कलाकार से सीखेंगे??