युँ भी कई दिन हम होते हैं,
जो काटते हैं वही बोते हैं!
यूँ भी हम खाली हाथ होते हैं,
न उनके न अपने साथ होते हैं
अक्सर ऐसे भी हम खोते हैं,
कहने को उनके साथ होते हैं!
अक्सर ऐसे भी हालात होते हैं,
वो हम नहीं होते जो हम होते हैं,
लम्हों के नाज़ुक, कहने को लोहा सही,
मौका मिले तो हम भी ज़रा रोते हैं!
जो काटते हैं वही बोते हैं!
यूँ भी हम खाली हाथ होते हैं,
न उनके न अपने साथ होते हैं
अक्सर ऐसे भी हम खोते हैं,
कहने को उनके साथ होते हैं!
अक्सर ऐसे भी हालात होते हैं,
वो हम नहीं होते जो हम होते हैं,
लम्हों के नाज़ुक, कहने को लोहा सही,
मौका मिले तो हम भी ज़रा रोते हैं!
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