रोक - टोक के बच्चन को,
पप्पा, कैसे दिये बड़ाये,
अपने मन की बात न चीनें,
अब आपही कछू बुझाएं!!
सब चुप्पी के मालिक,
दुनिया जाये भाड़, तो
का कर लेंगे गालिब,
का कर लेंगे गालिब कि,
बेच कलम सब खायें,
खबरों की दुनिया में,
सब सौदागर आये,
आये सब सौदागर,
सबका दाम लगायें,
ख्वाब, इरादे, सपने
अब पैकेट में आयें,
लाओ पैकेट में, तुम भी,
कोई बात निराली,
शर्मा के का कीजे
अब बिकती है लाली,
दिखती है लाली वो भी
आँख में खून जमाये,
मज़हव के रहनुमा रहम
अब खुदा बचाये,
खुदा बचाये किस किसको
पैरवी सबकी तगड़ी,
पैरों में पुजारी के,
गरीब की पगड़ी,
कैसी पगड़ी गरीब को,
शरम न आये,
गिरवी रख के पगड़ी
क्यों न भूख मिटाये?
कौन मिटाये भुख,
भूख किसकी मर जाये,
ड़ाईटिंग पे है कोई
कि फ़िगर ज़ीरो बन जाये,
ज़ीरो फ़िगर बन जाये
ये शौक निराले,
ऐ.सी. में मेहनत करके
मर्द छे पैक बनाले,
छह पैक के मर्द,
हो गया बेड़ागरक,
मरद और इंसान कि
अब पहचान फ़रक!
अपनी ही पहचान से
कहाँ है बच्चन वाकिफ़,
यकीं के यतीम सब
पप्पा मन माफ़िक
पप्पा मन माफ़िक कहने को,
किसका हुकुम बजायें,
रीत-रिवाजों के पोंगे,
किसका बीन बजायें
किसका बीन बजायें,
कान पे जूँ ने रेंगे,
भेड़-चाल शौकीन,
नया रस्ता न ढुँढें
नया रास्ता ढुँढे,
सो पागल कहलाये
मिल लीजो हमसे,
जो उस रस्ते आये!
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