अज्ञात है और मेरा मित्र
भी,
एक कोशिश है एक चित्र भी
सीमित है पर सीमा नहीं
जीवित हैं पर जीना नहीं
सब कुछ ठीक है,
सब कुछ ठीक है,
और सब कुछ बदलना है
रास्ता बना नहीं फिर भी चलना
है,
सपने हकीकत हैं,
जो बोले शब्द वो जीवित हैं,
अपनी ‘गति’ के समाचार,
और खबर बुरी नहीं है,
सपने हकीकत हैं,
जो बोले शब्द वो जीवित हैं,
अपनी ‘गति’ के समाचार,
और खबर बुरी नहीं है,
सच्चाई छुरी नहीं है,
क्योंकि होता वही है जो तय
है,
और चाल आपकी, आपकी शय है,
मात नज़र की कमजोरी है,
उम्मीद कि न दिखे फिर भी डोरी है
वैसे भी आँख के सामने गर अँधेरा है,
तो हाथों को हवा कीजे,
और चाल आपकी, आपकी शय है,
मात नज़र की कमजोरी है,
उम्मीद कि न दिखे फिर भी डोरी है
वैसे भी आँख के सामने गर अँधेरा है,
तो हाथों को हवा कीजे,
यकीन की दवा कीजे ,
और मारिये एक छलांग,
एक दो तीन,......
धड़ाम
देखा, न चींटी मरी, न आप ,
पर तबीयत हरी हो गयी!
चलिए अब नए सिरे से सोचें
चलिए अब नए सिरे से सोचें
बोलने वाले तो कुछ भी बोलेंगे!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें