सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बेला चाओ, गो कोरोना गो!!


उम्र भर का आराम कैसे भुला दें?
भरपेट बचपन ओ जवानी का सुकून
कैसे गँवा दें?
वो गद्दे, वो रजाई,
मुँह ढक चददर, कूलर की हवाई,
वो चारदिवारी,
वो छत, वो क्यारी 

वो अदब सरकारी,
बाप जिला अधिकारी
ऊपर की जात हमारी,
धर्म राम सवारी,
नास्तिक बीमारी,
हमारा कौन बिगाड़े?
सब चीज़ जुगाड़ है,
6 तरह कि दाल,
चावल सफेद और लाल,
सब्ज़ी, फल, घी, दूध तेल,
वजन घटाने में अब भी फेल 

मेहनत सुबह की दौड़ है, 
आरामतलबी, 
नैटफ्लिक्स,
पैसा डकैती (मनी हाइस्त) में नए मोड़ हैं!!

बेला चाओ चाओ चाओ
सड़कों पर आओ, आवाज़ उठाओ,
आओ साथ, आओ आओ , साथ आओ

वो कौन हैं (बांद्रा टर्मिनस पर) 

जो शोर करते हैं,
काम नहीं, बस फल भरते हैं,
आवाज़ बहुत है,
तोड़ने की नहीं, अफ़सोस,
ये टूटने की है!
रिश्ते, उम्मीद से, हालात से
इतना दबाया है हमने इन्हें
ये बस जीते हैं, किसी तरह,
टुटे हुए, और उन्हीं टुकड़ों को 

बचाने में लगे हैं,
हक़ कहाँ है कोई,
सब घर जाने चले हैं!
बेचारगी की जमीन में
ख़ुद को दफ़नाने!

आप हम सब जानते हैं,
हमदिली भी है,
मदद कोई यहां से चली भी है,
दुःख, गुस्सा, खाना पीना
बिंज वाच कर देर से सोना 

शराफ़त के मजबूर,
सबसे दूर बस खुद से
बात करते हैं,


बेला चाओ बेला चाओ
बेला चाओ चाओ चाओ
ग़ुस्से में आओ, ख़ुद को दफ़नाओ, 

ताक़त है कितनी, समझेगी दुनिया
दुनिया से अगर तुम सब गायब हो जाओ
बेला चाओ बेला चाओ 

बेला चाओ चाओ चाओ

नींद तो फिर भी चैन है,
सो जाओ!!
(प्रिविलेज मुबारक हो)

(बेला चाओ, एक जमीनी गाना है जो खेती करने वाले इटली में गाते थे और बाद में ये फासीवाद के खिलाफ जो संघर्ष इटली में उसका गाना बन गया था
https://en.m.wikipedia.org/wiki/Bella_ciao )

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

जिंदगी ज़हर!

जिंदगी ज़हर है इसलिए रोज़ पीते हैं, नकाबिल दर्द कोई, (ये)कैसा असर होता है? मौत के काबिल नहीं इसलिए जीते हैं, कौन कमबख्त जीने के लिए जीता है! चलों मुस्कुराएं, गले मिलें, मिले जुलें, यूं जिंदा रहने का तमाशा हमें आता है! नफ़रत से मोहब्बत का दौर चला है, पूजा का तौर "हे राम" हुआ जाता है! हमसे नहीं होती वक्त की मुलाज़िमी, सुबह शाम कहां हमको यकीं होता है? चलती-फिरती लाशें हैं चारों तरफ़, सांस चलने से झूठा गुमान होता है! नेक इरादों का बाज़ार बन गई दुनिया, इसी पैग़ाम का सब इश्तहार होता है! हवा ज़हर हुई है पानी हुआ जाता है, डेवलपमेंट का ये मानी हुआ जा ता है।