बीमार करके फ़िर दवा देते हैं,
आपको तारीफ़ की वज़ह देते हैं!
दवा दे कर बीमार करते हैं,
किराया बस को हज़ार करते हैं!!
बस इरादा नहीं काफ़ी, नेकनीयती का,
पहले ये कहिए क्यूँ हमें लाचार करते हैं??
क्यों कोई शराफ़त देखे उनकी, जो?
सवाल पूछने पर गुनाहगार करते हैं?
सरकार हाथ जोड़ मज़ाक करते हैं?
भूख, प्यास मजबूरी से मर गए कई,
कहते हैं, हम मन की बात करते हैं!!
गलती नहीं मानते, पर माफ़ी मांग गए,
तमाशे वो ऐसे सौ -हजार करते हैं!
मिला बहाना तो इल्ज़ाम ज़िहाद का,
नफ़रत से सरकार बड़ा प्यार करते हैं?
दिलों में दीवार हो वो हालात करते हैं!
कातिल हैं वो दवा की बात करते हैं,
जानलेवा है वो जो इलाज़ करते हैं!
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